Monday 18 July 2016

Mali Samaj History

माली ” शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द माला से हुई है , एक पौराणिक कथा के अनुसार माली कि उत्पत्ति भगवान शिव के कान में जमा धुल (कान के मेल ) से हुई थी ,वहीँ एक अन्य कथा के अनुसार एक दिन जब पार्वती जी अपने उद्यान में फूल तोड़ रही थी कि उनके हाथ में एक कांटा चुभने से खून निकल आया , उसी खून से माली कि उत्पत्ति हुई और वहीँ से माली समाज Mali Samaj अपने पेशे बागवानी Bagwani से जुडा |माली समाज में एक वर्ग राजपूतों कि उपश्रेणियों का है |विक्रम सम्वत १२४९ (११९२ इ ) में जब भारत के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वी राज चौहान के पतन के बाद जब शहाबुद्दीन गौरी और मोहम्मद गौरी शक्तिशाली हो गए और उन्होंने दिल्ली एवं अजमेर पर अपना कब्ज़ा कर लिया तथा अधिकाश राजपूत प्रमुख या तो साम्राज्य की लड़ाई में मारे गए या मुग़ल शासकों द्वारा बंदी बना लिए गए , उन्ही बाकि बचे राजपूतों में कुछ ने मुस्लिम धर्म स्वीकार कर लिया और कुछ राजपूतों ने बागवानी और खेती का पेशा अपनाकर अपने आप को मुगलों से बचाए रखा , और वे राजपूत आगे चलकर माली कहलाये !

माली समाज का इतिहास Mali Samaj History  किसी भी जाती, वंश एव कुल परम्परा के विषय मे जानकारी के लिये पूर्व इतिहास एव पूर्वजो का ज्ञान होना अति आवश्यक है| इसलिए सैनी जाती Saini Samaj History के गोरव्पूर्ण पुरुषो के विषय मे जानकारी हेतु महाभारत काल के पूर्व इतिहास पर द्रष्टि डालना अति आवश्यक है| आज से ५१०६ वर्ष पूर्व द्वापरकाल के अन्तिम चरण मे य्द्र्वंश मे सचिदानंद घन स्वय परमात्मा भगवान् श्रीकृषण क्षत्रिय कुल मे पैदा हुए और युग पुरुष कहलाये| महाभारत कई युध्दोप्रांत यदुवंश समाप्त प्राय हो गया था| परन्तु इसी कुल मई महाराज सैनी जिन्हे शुरसैनी पुकारते है| जो रजा व्रशनी के पुत्र दैव्मैघ के पुत्र तथा वासुदेव के पिता भगवन श्रीकिशन के दादा थे| इन्ही महाराज व्रशनी के छोटे पुत्र अनामित्र के महाराज सिनी हुये, इस प्रकार महाराज शुरसैनी तथा सिनी दोनों काका ताऊ भाई थे| इन्ही दोनों महापुरुषों के वंशज हम लोग सैनी क्षत्रिय कहलाये|

कालांतर मई वृशनी कुल का उच्चारण सी वृ अक्षर का लोप हो गया और षैणी शब्द उच्चारित होने लगा जो आज भी उतरी भारत के पंजाब एव हरियाणा प्रांतो मे सैनी शब्द के एवज मे अनपढ़ जातीय बंधू षैणी शब्द ही बोलते है, और इसी सिनी महाराज के वंश परम्परा के अपने जातीय बह्धू सिनी शब्द के स्थान पर सैनी शब्द का उच्चारण करने लगे है| जो सर्वथा उचित और उत्तम है| कालांतर मे वृशनि गणराज्य संगठित नहीं रहा और भिन्न भिन्न कबीलों मे विभाजित होकर बिखर गया| किसी भी भू भाग पर इसका एकछत्र राज्य नहीं रहा किन्तु इतिहास इस बात का साक्षी है| की सैनी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश एव कुल परम्परा मे अग्रणी रहे है|

महाभारत काल के बाद सैनी कुल Saini Community के अन्तिम चक्रवर्ती सम्राट वीर विक्रेमादित्य हुए है जिन्हे नाम पर आज भी विक्रम सम्वत प्रचलित है| इससे यह स्पष्ट है की सैनी जाती का इतिहास कितना गोरवपूर्ण रहा है| यह जानकर सुखद अनुभूति होती है की हमारे पूर्वज कितने वैभवशाली वीर अजातशत्रु थे| भारत राष्ट्र संगठित न रहने पर परकीय विदेशी शासको की कुद्रष्टि का शिकार हुआ तथा कुछ शक्तिशाली कबीलों ने भारत को लुटने हेतु कई प्रकार के आक्रमण शुरू कर दिये, यूनान देश के शासक सिकंदर ने प्रथम आक्रमण किया किन्तु पराजित होकर अपने देश यूनान वापस लोट गया|

इसके बाद अरब देशो के कबीलों ने भारत पर आक्रमण कर लूटपाट शुरू कर दी और भारत पर मुस्लिम राज्य स्थापित कर कई वर्षो तक शासन किया| इसके बाद यूरोप देश के अग्रेज बडे चालाक चतुर छलकपट से भारत पर काबिज हो गये| अन्ग्रजो ने भारत के पुराने इतिहास का अध्यन करने यहा के पूर्व शासको एव जातियों के इतिहास की जानकारी हेतु कई इतिहासकारों को भारत की भिन्न प्रांतो मे इतिहास संकलन हेतु नियुक्त किया | एक प्रसिध्द अंग्रेज इतिहासकार ‘परजिटर’ ने भारत की पोरानिक ग्रंथो के आधार पर अपने वृशनी वंश का वृक्ष बिज तैयार किया जिसका भारत के प्रसिध्द इतिहासकार डा.’ए.डी.पुत्स्लकर ‘ एम.ए.,पी एच डी ने भी इस मत का प्रतिपादन किया है|” महाराज वृश्निजी के चोटी पुत्र अनामित्र के महाराज सीनी हुये इसी सिन्नी शब्द का पर्यायवाची शब्द ‘सैनी’ !!!!!!!

वृध्दाश्रम में अपने बेटे की राह देखती हुई माँ

✒�� शरीर में रौंगटे खड़े कर देने वाली कविता,,,

    ���� ��  माँ की इच्छा  �� ����

   महीने बीत जाते हैं ,
   साल गुजर जाता है ,
   वृद्धाश्रम की सीढ़ियों पर ,
   मैं तेरी राह देखती हूँ।

                   आँचल भीग जाता है ,
                   मन खाली खाली रहता है ,
                   तू कभी नहीं आता ,
                   तेरा मनि आर्डर आता है।

                               इस बार पैसे न भेज ,
                               तू खुद आ जा ,
                               बेटा मुझे अपने साथ ,
                               अपने �� घर लेकर जा।

    तेरे पापा थे जब तक ,
    समय ठीक रहा कटते ,
    खुली आँखों से चले गए ,
    तुझे याद करते करते।

               अंत तक तुझको हर दिन ,
               बढ़िया बेटा कहते थे ,
               तेरे साहबपन का ,
               गुमान बहुत वो करते थे।

                            मेरे ह्रदय में अपनी फोटो ,
                            आकर तू देख जा ,
                            बेटा मुझे अपने साथ ,
                            अपने �� घर लेकर जा।

   अकाल के समय ,
   जन्म तेरा हुआ था ,
   तेरे दूध के लिए ,
   हमने चाय पीना छोड़ा था।

               वर्षों तक एक कपडे को ,
               धो धो कर पहना हमने ,
               पापा ने चिथड़े पहने ,
               पर तुझे स्कूल भेजा हमने।

                         चाहे तो ये सारी बातें ,
                         आसानी से तू भूल जा ,
                         बेटा मुझे अपने साथ ,
                         अपने �� घर लेकर जा।

�� घर के बर्तन मैं माँजूंगी ,
      झाडू पोछा मैं करूंगी ,
      खाना दोनों वक्त का ,
      सबके लिए बना दूँगी।

            नाती नातिन की देखभाल ,
            अच्छी तरह करूंगी मैं ,
            घबरा मत, उनकी दादी हूँ ,
            ऐंसा नहीं कहूँगी मैं।

                            तेरे �� घर की नौकरानी ,
                            ही समझ मुझे ले जा ,
                            बेटा मुझे अपने साथ ,
                            अपने �� घर लेकर जा।

   आँखें मेरी थक गईं ,
   प्राण अधर में अटका है ,
   तेरे बिना जीवन जीना ,
   अब मुश्किल लगता है।

                 कैसे मैं तुझे भुला दूँ ,
                 तुझसे तो मैं माँ हुई ,
                 बता ऐ मेरे कुलभूषण ,
                 अनाथ मैं कैसे हुई ?

                           अब आ जा तू मेरी कब्र पर ,
                           एक बार तो माँ कह जा ,
                           हो सके तो जाते जाते ,
                           वृद्धाश्रम गिराता जा।

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Saturday 16 July 2016

Deepak Suman Sheopur

Mali Samaj

युवा जागे और आगे बढे , जागरूक हो माली समाज।
जीवन में कुछ करे ऐसा कार्य, जिस पर हो सभी को नाज।।
पढ़ लिखकर हर युवा बने एक नेक विद्वान और होशियार।
सुख समृद्धि और जागरूकता से महके हर घर परिवार ।।
जब तक रहे श्वास समाज के हित में करे हम हर काम।
माली समाज के सभी भाइयो को "फुले ब्रिगेड" का राम राम।।

फुले ब्रिगेड टीम,हिन्दूस्थान